ঢাকা ১২:৪৬ অপরাহ্ন, শুক্রবার, ২১ নভেম্বর ২০২৫, ৭ অগ্রহায়ণ ১৪৩২ বঙ্গাব্দ

প্রতিক্ষা

প্রতিক্ষা
শিহাব রিফাত আলম
হিন্দি অনুবাদ: ড. বিক্রম কুমার সাউ

इंतजार
कवि – शिहाब रिफत आलम

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जो बदल सकती है जीवन-चक्र ।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जो फैला सकती है स्वप्न के पंख।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जो मेघमुक्त आकाश में कर सकती है प्रबल वर्षा।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जैसे माया से भरी रात में तारों का मेला।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जैसे चांदनी रात को नज़र भर कर देखना।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जैसे भरी दोपहरी में शांत छाया।

कॉलेज के और दस चेहरों में
तुम्हारी गंभीर काली आंखें,
सांवला गठन कुछ अधिक भिन्न- सी प्रतीत होती है।
जो हर लिया था प्रथम दर्शन में,
और हृदय को बांध लिया था मोह के बंधन में,
इसलिए आज भी मैं
कर रहा हूं इंतजार,
करता रहूंगा इंतजार,
और करता रहूंगा इंतजार आजीवन।

अनुवादक
डॉ. बिक्रम कुमार साव
असिस्टेंट प्रोफेसर
हिंदी विभाग
बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्र कॉलेज

ট্যাগস
আপলোডকারীর তথ্য

জনপ্রিয় সংবাদ

প্রতিক্ষা

আপডেট সময় ০৫:০৩:০৭ পূর্বাহ্ন, সোমবার, ২৫ মার্চ ২০২৪

প্রতিক্ষা
শিহাব রিফাত আলম
হিন্দি অনুবাদ: ড. বিক্রম কুমার সাউ

इंतजार
कवि – शिहाब रिफत आलम

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जो बदल सकती है जीवन-चक्र ।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जो फैला सकती है स्वप्न के पंख।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जो मेघमुक्त आकाश में कर सकती है प्रबल वर्षा।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जैसे माया से भरी रात में तारों का मेला।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जैसे चांदनी रात को नज़र भर कर देखना।

तुम्हारी हंसी थोड़ी भिन्न है,
जैसे भरी दोपहरी में शांत छाया।

कॉलेज के और दस चेहरों में
तुम्हारी गंभीर काली आंखें,
सांवला गठन कुछ अधिक भिन्न- सी प्रतीत होती है।
जो हर लिया था प्रथम दर्शन में,
और हृदय को बांध लिया था मोह के बंधन में,
इसलिए आज भी मैं
कर रहा हूं इंतजार,
करता रहूंगा इंतजार,
और करता रहूंगा इंतजार आजीवन।

अनुवादक
डॉ. बिक्रम कुमार साव
असिस्टेंट प्रोफेसर
हिंदी विभाग
बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्र कॉलेज